To Share

Sunday, 29 November 2015

देश के जवानो को समर्पित।

एक पति भी ले लो,
एक बेटा भी ले लो,
मेरी माँ का खून और
मेरे बच्चों के पिता का वजूद भी ले लो।
मेरा मान भी ले लो,
सम्मान भी ले लो,
मेरा शीश भी ले लो,
स्वाभिमान भी ले लो।
बात चीत करने की पहल भी ले लो,
खुद की गलती पर नाराजगी भी ले लो,
हमारे आंसुओं का सुख भी ले लो,
हमारी विधवा माँ और अनाथों पर सुकून भी ले लो,
हमारा अनंत धैर्य भी ले लो,
हमारा शाश्त्र हमारे शश्त्र भी ले लो,
पर ओ उस खुदा को मानने वालो,
ओ उस परवरदिगार को मानने वालो,
अपनी आत्मा को झकझोर लो,
और यह सब कुछ लेने के पश्चात भी,
ज़रा हमारी समृद्धि से, हमारे मनोबल से, हमारी अखंडता से, हमारी निर्भयता से, हमारी एकता से, हमारे दृष्टिकोण से अपनी छोटी तुलना भी कर लो।

-अलोक

No comments:

Post a Comment

Popular Posts