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Wednesday, 6 January 2016

हृदय की संवेदना

वास्तव में दुनिया बड़ी बुरी है
यहाँ विश्वास कांच से जल्दी टूट जाता है,
अपना समझना किसी को एक बेवकूफी है
गला उन्ही के हाथों से घुट जाता है,
गुस्सा भी एक भवना है
पर रोने वाले को ही भावुक माना जाता है,
यहाँ जीना एक बोझ सा है लेकिन खुदखुशी कायरता बन जाता है,
उस तराज़ू की कोई कीमत नहीं होती जिसमे लोहा और सोना एक साथ तोला जाता है,
सोना कीमती होते हुए भी कीमत का नहीं है
उसे भी लोहे की अलमारी में रख दिया जाता है,
यहाँ गलती के लिए माफ़ी मांगते हैं
परंतु गुनाह करने पर बचाव किया जाता है,
यहाँ दाँतों की संवेदना का दुःख है
पर हृदय की संवेदना का दर्द समझा नहीं जाता है,
वास्तव में दुनिया बड़ी बुरी है
यहाँ विश्वास कांच से जल्दी टूट जाता है।
-आलोक

Sunday, 29 November 2015

देश के जवानो को समर्पित।

एक पति भी ले लो,
एक बेटा भी ले लो,
मेरी माँ का खून और
मेरे बच्चों के पिता का वजूद भी ले लो।
मेरा मान भी ले लो,
सम्मान भी ले लो,
मेरा शीश भी ले लो,
स्वाभिमान भी ले लो।
बात चीत करने की पहल भी ले लो,
खुद की गलती पर नाराजगी भी ले लो,
हमारे आंसुओं का सुख भी ले लो,
हमारी विधवा माँ और अनाथों पर सुकून भी ले लो,
हमारा अनंत धैर्य भी ले लो,
हमारा शाश्त्र हमारे शश्त्र भी ले लो,
पर ओ उस खुदा को मानने वालो,
ओ उस परवरदिगार को मानने वालो,
अपनी आत्मा को झकझोर लो,
और यह सब कुछ लेने के पश्चात भी,
ज़रा हमारी समृद्धि से, हमारे मनोबल से, हमारी अखंडता से, हमारी निर्भयता से, हमारी एकता से, हमारे दृष्टिकोण से अपनी छोटी तुलना भी कर लो।

-अलोक

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